शतावरी दिव्य महा औषधि | asparagus bless for human
आज हम ऐसे ही एक पौधे की चर्चा करेंगे जिसे आयुर्वेद में महाऔषधि के नाम से जाना जाता हैजिसका प्रयोग लगभग आयुर्वेद की सभी बलवर्द्धक, बुद्धिवर्धन, और त्रिदोषनाशक औषधियों में किया जाता है जी हम चर्चा करेंगे सतावरी के पौधे के बारे में.
shatavari ( wild asparagus )
family - ( liliaceae )
प्रजातियाँ : शतावरी की 22 प्रजातिया पाई जाति है औषधि शतावरी, सब्जी वाली सतावरी, शोभनिया सतावरी, महा सतावरी, इत्यादी।
भारतमे पाई जाने वाली प्रजातिया
- asparogus scandens deflexus
- asparagus densiflorus 'sprengeri'.
- asparagus densiflorus 'myrio clauds'.
सतावर के अलग अलग प्रादेशिक नाम
- हिंदी - सतावर
- मराठी - शतावर, शतमुली, शतावरी
- गुजराती - शतावरी, गजवेल
- बंगाली - स्तमाली
- तमिल - सदावरी
- तेलुगू - चेला गड्डा
- latin - asparagus racemosus
- english - wild asparagus
शतावरीमे पाये जाने वाले रसायन -
सैपोनिन्स, शतावरिन्स, ग्लाइकोसाइड इत्यादि...
shatavari benefits
- चेता-मज्जा नाडी संस्था ( nervous system )
शतावरी गुरु, चिकना और मधुर गुणो वली होने से वातपित दोषों का समाप्त करती है बुद्धि वर्धक गुणों के कारण दिमाग को बल देती है जिसे मानशिक बिमारिया मुर्झा इत्यादी.. उसी प्रकार वेदननाशक होने से वात व्याडी को नष्ट करती है।
- पचनतंत्र ( digestive system )
दीपन अनुलोम और ग्रही गुण के कारण शतावरी पाचन तंत्र पर काम करती है, पेट के अल्सर में लाभकारी परिणाम देती है
- रक्त वाहिकाएं ( circulatory system )
शतावरी रक्त को पतला करने वाला और पित्तनाशक है जो हृदय रोगों को ठीक करता है.
- प्रजनन संस्थान ( reproductiv system )
शतावरी पुरुष और महिला प्रजनन अंगों पर कार्य करती है। निषेचन, निषेचन, स्तन और शुक्राणुजन्य गुण गर्भाशय के रोगों को दूर करते हैं। शुक्राणु की मात्रा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए फायदेमंद है।
- मूत्र प्रणाली ( urinary system )
शतावरी पेशाब बढ़ाने के कारण मूत्र रोगों में लाभकारी है
- त्वचा ( skin )
शतावरी का रस लोहे पर कार्य करता है और अशुद्धियों को दूर करता है जिससे त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार होता है.
इसके गुणों के अनुसार शतावरी के कई वैकल्पिक नाम इस प्रकार हैं
- ,शतावरी
- स्वदुरास
- मधुरा
- बहुमूल
- बहू पत्रिका
- केशिका
- वया: स्थापना
- पित्तशमन
- निरुक्ति
- शतवीर्य
- शतपत्रिका
- सूक्ष्मपत्र
- सुवीर्य
- सुपत्र
- मधुरस्कंधा
- नारायणी
- जटामूल
- श्वेतमुष्ठी
- बहुपुत्री
- आत्मशक्ति
- पीवारी
- विदरीगंधादि
- शतपदी
- लघुपर्णिक
- वृषभ
- सुरसा
- केशी
- बल्या
- कंटकपंचमूल
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
शतावरी के फायदे
शतावरी का प्रयोग वीर्य, मेघ्य, बल्य, वृष्य, वातबिलिषम रसायन के रूप में किया जाता है। स्त्री रोग संबंधी रोगों के लिए शतावरी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। शतावरी अच्छा काम करती है
रसधातु पर होता है, अत: उसमें होने वाली विकृति नष्ट हो जाती है और उत्तम रसधातु का निर्माण होता है
इसमें रस धातु प्रबल हो जाती है, रज और सत्न्य उपधातु सक्रिय हो जाती है। इससे दूध में होने वाली विकृति नष्ट हो जाती है और अच्छा व प्रचुर मात्रा में दूध बनता है। शतावरी एक गर्भाशय खोजक, प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाला है। यह गर्भाशय को साफ करता है और गर्भाशय के विकारों को ठीक करता है और गर्भावस्था के बाद भ्रूण के पोषण में सुधार करता है। शतावरी मज्जा और मांसपेशियों को मजबूत करती है इसलिए यह कार्मिनेटिव के रूप में कार्य करती है
शतावरी शुक्राणु को मजबूत करती है और उस धातु के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शुक्राणु को उत्तेजित करती है। शतावरी तंत्रिका शक्ति को बढ़ाकर मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाती है। यह तेज और मजबूत होने के कारण कुपोषित बच्चों को मोटा बनाता है। शतावरी हाइपोग्लाइसेमिक और जमावट है, इसलिए इसका उपयोग पित्तज, अतिसार और रक्त पेचिश में किया जाता है।
शतावरी हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करती है, धमनियां इस प्रकार रक्त परिसंचरण में सुधार करती हैं जिससे हृदय विकार दूर होते हैं। शतावरी रस और रक्त धातुओं को शक्ति प्रदान करती है शतावरी रस और रक्त धातुओं को पुष्ट करने के कारण त्वचा लाल और कांतिमय हो जाती है.
For more information subscribe to our channel AAS Horticulture and Nature whose link is given below
YOUTUBE | @AASHORTIANDNATURE